Jhak Maar Ke

Go...

अब ना तू रखना तू
मेरे दिल का ये छोटा-मोटा हक़ मार के
ग़लती से ग़लती की
कभी पीछे-पीछे आया तेरे झक मार के

अब ना तू रखना तू
मेरे दिल का ये छोटा-मोटा हक़ मार के
ग़लती से ग़लती की
कभी पीछे-पीछे आया तेरे झक मार के

तुझ पे ना एतबार मुझे
फीका लगे तेरा प्यार मुझे
मैं ना बनाऊँ दिलदार तुझे
सारे सपने थे झूठे अब तक प्यार के

दिल जाने, रब जाने
बैठा दर पे मैं तेरे अब दिल हार के
ग़लती से ग़लती की
कभी पीछे-पीछे आया तेरे झक मार के

जब-जब यारा ढूँढूँ तुझ को, पा लूँ मैं ख़ुद को ही
तू ही है मेरा पता
दुनिया-भर की क़स्में खाकर, करके वादे कहता हूँ
"आगे से ना होगी ख़ता"

हो, तुझ से अब ना मोहब्बत है
तेरी ना मुझ को ज़रूरत है
मेरी तो ऐसी सूरत है
लाख जाएँगे यहाँ अब दिल हार के

लाखों में एक मैं हूँ
कोई आएगा ना आगे अब इस यार के
ग़लती से ग़लती की
कभी पीछे-पीछे आया तेरे झक मार के
(झक मार के, झक मार के)

(Go...)

तेरी आँखों में डूबी मैं, देखूँ अपनी आँखों को
बीते यूँ ही सारी उमर
तेरी बाँहों में लिपटी मैं, मेरी बाँहों में तू हो
दुनिया की हो ना ख़बर

हो, ना ज़रूरत बातों की
मिलें लकीरें हाथों की
सालों सी उमर हो रातों की
ऐसे भी देखें दोनों पल प्यार के

कल ऐसे, पल ऐसे
आने तेरी-मेरी चाहतों के इक़रार के
ग़लती से ग़लती की
कभी पीछे-पीछे आया तेरे झक मार के

हो, तुझ पे ना एतबार मुझे
फीका लगे तेरा प्यार मुझे
मैं ना बनाऊँ दिलदार तुझे
सारे सपने थे झूठे अब तक प्यार के

दिल जाने, हो, रब जाने
बैठा दर पे मैं तेरे अब दिल हार के
ग़लती से ग़लती की
कभी पीछे-पीछे आया तेरे झक मार के



Credits
Writer(s): Irshad Kamil
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