Aaj Peene Ki Dawat Hai - Live

बाग़ में चलने लगे तीर-ए-निगाह-ए-मयकश
मय टपकने लगी अँगूर के हर दाने से
आज पीने की दावत है, यारों

ज़ख़्म हँस कर गुलाब हो जाते
आ, ज़ख़्म हँस कर गुलाब हो जाते
रंग-ओ-बू का जवाब हो जाते
तेरा दामन ना मिल सका, वरना
मेरे आसूँ शराब हो जाते

आज पीने की, पीने की...
आज पीने की दावत है, यारों
चाँद पर बैठ कर हम पीएँगे
आज पीने की दावत है, यारों
चाँद पर बैठ कर हम पीएँगे

शोख़ परियों के आँचल में छुप कर
शोख़ परियों के आँचल में छुप कर
रात-भर चैन से हम पीएँगे

आज पीने की दावत है, यारों
चाँद पर बैठ कर हम पीएँगे

ज़िंदगी के शराब-ख़ाने में
कौन है जो शराब-नोश नहीं?
जो बहुत होश-मंद बनता है
दर-हक़ीक़त उसे भी होश नहीं

बात होगी तो जीने की होगी
रात सारी ही पीने की होगी
बात होगी तो जीने की होगी
रात सारी ही पीने की होगी

लौटते में कहीं गिर ना जाएँ
लौटते में कहीं गिर ना जाएँ
इसलिए हम ज़रा कम पीएँगे

लौटते में कहीं गिर ना जाएँ
इसलिए हम ज़रा कम पीएँगे

आज पीने की दावत है, यारों
चाँद पर बैठ कर हम पीएँगे

चोट जब तक लगे ना जिगर में, हाय
आ, चोट जब तक लगे ना जिगर में
लुत्फ़ पीने का आता नहीं है
चोट जब तक लगे ना जिगर में
लुत्फ़ पीने का आता नहीं

तोड़ कर ख़ुद ही दिल आज अपना
तोड़ कर ख़ुद ही दिल आज अपना
दर्द की ये दवा हम पीएँगे

तोड़ कर ख़ुद ही दिल आज अपना
दर्द की ये दवा हम पीएँगे

शोख़ परियों के आँचल में छुप कर
शोख़ परियों के आँचल में छुप कर
रात-भर चैन से हम पीएँगे

आज पीने की दावत है, यारों
चाँद पर बैठ कर हम पीएँगे

आज पीने की दावत है, यारों
चाँद पर बैठ कर हम पीएँगे

चाँद पर बैठ कर हम पीएँगे
चाँद पर बैठ कर हम पीएँगे



Credits
Writer(s): Pradeep Rao, Bhupender Singh
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