Rut Jawan Jawan

रुत जवाँ-जवाँ, रात मेहरबाँ
छेड़ो कोई दास्ताँ
रुत जवाँ-जवाँ, रात मेहरबाँ
छेड़ो कोई दास्ताँ
रुत जवाँ-जवाँ...

कुछ झुकी-झुकी नज़र कहे
कुछ छुपा-छुपा सा डर कहे
जो कहे वो रात-भर कहे
फिर भी ना हो कुछ बयाँ

रुत जवाँ-जवाँ, रात मेहरबाँ
छेड़ो कोई दास्ताँ
रुत जवाँ-जवाँ...

हुस्न की शिकायतें बजा
है इधर तड़प, उधर गिला
ख़ामोशी है दर्द की सदा
आँखें बनी है ज़ुबाँ

रुत जवाँ-जवाँ, रात मेहरबाँ
छेड़ो कोई दास्ताँ
रुत जवाँ-जवाँ...

ग़म ख़ुशी-ख़ुशी छुपा लिया
दर्द को भी दिल बना लिया
ज़िंदगी ने आज़मा लिया
तुम तो ना लो इम्तिहाँ

रुत जवाँ-जवाँ, रात मेहरबाँ
छेड़ो कोई दास्ताँ
रुत जवाँ-जवाँ...



Credits
Writer(s): Kaifi Azmi, Mohammed Zahur Khayyam
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