Kahin Door Jab Din Dhal Jaye Anand 70
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
मेरे खयालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए
दीप जलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
कभी यूँ ही जब हुई बोझल साँसें
भर आई बैठे-बैठे जब यूँ ही आँखें
कभी यूँ ही जब हुई बोझल साँसें
भर आई बैठे-बैठे जब यूँ ही आँखें
तभी मचल के, प्यार से चल के
छुए कोई मुझे पर नज़र न आए
नज़र न आए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते
कहीं से निकल आए जन्मों के नाते
कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते
कहीं से निकल आएं जन्मों के नाते
है मीठी, बैरी अपना मन
अपना ही होके सहे दर्द पराए
दर्द पराए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
दिल जाने मेरे सारे भेद ये गहरे
खो गए कैसे मेरे सपने सुनहरे
दिल जाने मेरे सारे भेद ये गहरे
खो गए कैसे मेरे सपने सुनहरे
ये मेरे सपने, यही तो है अपने
मुझसे जुदा ना होंगे इनके ये साये
इनके ये साये
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
मेरे खयालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए
दीप जलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
मेरे खयालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए
दीप जलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
कभी यूँ ही जब हुई बोझल साँसें
भर आई बैठे-बैठे जब यूँ ही आँखें
कभी यूँ ही जब हुई बोझल साँसें
भर आई बैठे-बैठे जब यूँ ही आँखें
तभी मचल के, प्यार से चल के
छुए कोई मुझे पर नज़र न आए
नज़र न आए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते
कहीं से निकल आए जन्मों के नाते
कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते
कहीं से निकल आएं जन्मों के नाते
है मीठी, बैरी अपना मन
अपना ही होके सहे दर्द पराए
दर्द पराए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
दिल जाने मेरे सारे भेद ये गहरे
खो गए कैसे मेरे सपने सुनहरे
दिल जाने मेरे सारे भेद ये गहरे
खो गए कैसे मेरे सपने सुनहरे
ये मेरे सपने, यही तो है अपने
मुझसे जुदा ना होंगे इनके ये साये
इनके ये साये
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
मेरे खयालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए
दीप जलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
Credits
Writer(s): Deepak Pandit, Yogesh, Salil Choudhury
Lyrics powered by www.musixmatch.com
Link
© 2023 All rights reserved. Rockol.com S.r.l. Website image policy
Rockol
- Rockol only uses images and photos made available for promotional purposes (“for press use”) by record companies, artist managements and p.r. agencies.
- Said images are used to exert a right to report and a finality of the criticism, in a degraded mode compliant to copyright laws, and exclusively inclosed in our own informative content.
- Only non-exclusive images addressed to newspaper use and, in general, copyright-free are accepted.
- Live photos are published when licensed by photographers whose copyright is quoted.
- Rockol is available to pay the right holder a fair fee should a published image’s author be unknown at the time of publishing.
Feedback
Please immediately report the presence of images possibly not compliant with the above cases so as to quickly verify an improper use: where confirmed, we would immediately proceed to their removal.