Huzur Is Kadar - From "Masoom"

हुज़ूर इस क़दर भी न इतरा के चलिये
खुले आम आँचल न लहरा के चलिये
हुज़ूर इस क़दर भी न इतरा के चलिये
खुले आम आँचल न लहरा के चलिये
हुज़ूर इस कदर भी न इतरा के चलिये

कोई मनचला गर पकड़ लेगा आँचल
कोई मनचला गर पकड़ लेगा आँचल, ज़रा सोचिये आप क्या कीजिएगा
लगा दें अगर बढ़ के ज़ुल्फ़ों में कलियाँ
लगा दें अगर बढ़ के ज़ुल्फ़ों में कलियाँ, तो क्या अपनी ज़ुल्फ़ें झटक दीजिएगा
हुज़ूर इस क़दर भी न इतरा के चलिये
खुले आम आँचल न लहरा के चलिये
हुज़ूर इस क़दर भी न इतरा के चलिये

बहुत खूबसूरत है हर बात लेकिन
बहुत खूबसूरत है हर बात लेकिन, अगर दिल भी होता तो क्या बात होती
लिखी जाती फिर दास्तान-ए-मुहब्बत
लिखी जाती फिर दास्तान-ए-मुहब्बत, एक अफ़साने जैसे मुलाक़ात होती
हुज़ूर इस क़दर भी न इतरा के चलिये
खुले आम आँचल न लहरा के चलिये
हुज़ूर इस क़दर भी न इतरा के चलिये
खुले आम आँचल न लहरा के चलिये
हुज़ूर इस क़दर भी न इतरा के चलिये



Credits
Writer(s): Gulzar, Rahul Dev Burman
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link