Kaafir Andhere

क़ाफ़िर अँधेरे डाले हैं डेरे
दर पे खड़ा है मुँह घुमा के रूठा सवेरा
लम्हे सपेरे, सोने ना दें रे
लगने लगा है कशमकश का दिल ये बसेरा

भरती है जुर्माना मेरी कौन सी ख़ता?
नाता तोड़ने से पहले इतना तो बता
तेरी यादों के शहर में रफ़्ता-रफ़्ता
गली-गली, कोना-कोना फिरता हूँ लापता, लापता

क़ाफ़िर अँधेरे

क़िस्मत ने मोहलत भी दी ना मुझे
ऐसी थी नाराज़गी
अंबर में जाने मनाही है क्यूँ
मेरी ही परवाज़ की

पतझड़ ने छुआ जो तेरा-मेरा रिश्ता
मंज़िल मुरझाई, उजड़ा रस्ता
तेरी यादों के शहर में रफ़्ता-रफ़्ता
गली-गली, कोना-कोना फिरता हूँ लापता, लापता

क़ाफ़िर अँधेरे

मृगतृष्णा जैसा था अपना मिलन
लिखा था होना जुदा
तू भी महज़ आम इंसान है
समझा था मैंने ख़ुदा

ओ, एहसास जो पहले नाज़ था दिल का
अब दर्द की तरह चुभता रहता
तेरी यादों के शहर में रफ़्ता-रफ़्ता
गली-गली, कोना-कोना फिरता हूँ लापता
तेरी यादों के शहर में रफ़्ता-रफ़्ता
गली-गली, कोना-कोना फिरता हूँ लापता, लापता

क़ाफ़िर अँधेरे



Credits
Writer(s): Amitabh Bhattacharya, Jeet Gangulli
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