Titli, Pt. 1

कैसा ये कारवाँ?
कैसे हैं रास्ते?

ख़्वाबों को सच करने के लिए
तितली ने सारे रंग बेच दिए
ख़्वाबों को सच करने के लिए
तितली ने सारे रंग बेच दिए

सारा सुकूँ है खोया ख़ुशियों की चाहत में
दिल ये सहम सा जाए छोटी सी आहट में

कुछ भी समझ ना आए
जाना है कहाँ?

ख़्वाबों को सच करने के लिए
तितली ने सारे रंग बेच दिए
ख़्वाबों को सच करने के लिए
तितली ने सारे रंग बेच दिए

अल्फ़ाज़ साँसों में ही आ के बिखरते जाएँ
ख़ामोशियों में बोलें ये आँखें बेज़ुबाँ
परछाइयाँ हैं साथी, चलता ही जाए राही
कोई ना देखे अब तो ज़ख़्मों के निशाँ

कुछ भी समझ ना आए
जाना है कहाँ?

ख़्वाबों को सच करने के लिए
तितली ने सारे रंग बेच दिए
ख़्वाबों को सच करने के लिए
तितली ने सारे रंग बेच दिए

ना रोशनी है कोई, आशाएँ खोई-खोई
टूटा-फूटा है ये उम्मीदों का जहाँ
ना बेक़रारी कोई, बंदिश-रिहाई कोई
अब तो निगाहों में ना कोई इंतज़ार

कुछ भी समझ ना आए
जाना है कहाँ?

ख़्वाबों को सच करने के लिए
तितली ने सारे रंग बेच दिए
ख़्वाबों को सच करने के लिए
तितली ने सारे रंग बेच दिए



Credits
Writer(s): Vipin Patwa, Dr. Sagar Sagar
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