Raat Ko Jaane Kya Hoota Hai

रात को जाने क्या होता है...

रात को जाने क्या होता है, हँसने लगती है
रात को जाने क्या होता है, हँसने लगती है
Tin की चादर पर जब बारिश बजने लगती है, बजने लगती है
रात को जाने क्या होता है, हँसने लगती है
Tin की चादर पर जब बारिश बजने लगती है, बजने लगती है
रात को जाने क्या होता है, हँसने लगती है, हँसने लगती है

ओ, आँखों से जब मैले-मैले आँसू गिरते हैं
आँखों से जब मैले-मैले आँसू गिरते हैं, आँसू गिरते हैं

मेरे कच्चे घर की मिट्टी, ओ
मेरे कच्चे घर की मिट्टी गलने लगती है, गलने लगती है
रात को जाने क्या होता है, हँसने लगती है, हँसने लगती है

ओ, सारा दिन मैं इस दिल को दफ़नाता रहता हूँ
सारा दिन मैं इस दिल को दफ़नाता रहता हूँ, दफ़नाता रहता हूँ

रात को उठकर ये परछाई, ओ
रात को उठकर ये परछाई चलने लगती है, चलने लगती है
रात को जाने क्या होता है, हँसने लगती है, हँसने लगती है

ओ, चैन आ जाए जब क़ब्रों में सोने वालों को
चैन आ जाए जब क़ब्रों में सोने वालों को, सोने वालों को

क़ब्र की मिट्टी धीरे-धीरे...
क़ब्र की मिट्टी धीरे-धीरे दबने लगती है, दबने लगती है
रात को जाने क्या होता है, हँसने लगती है
टीन की चादर पर जब बारिश बजने लगती है, बजने लगती है
रात को जाने क्या होता है, हँसने लगती है

हँसने लगती है, हँसने लगती है
हँसने लगती है, हँसने लगती है
हँसने लगती है, हँसने लगती है



Credits
Writer(s): Gulzar, Bhupender Singh
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link