Khuda Ke Liye (from "Music Cafe With Mustafa Zahid")

कब होगी सहर? दीवार-ओ-दर बेहद वीरान है
कब मंज़िल मेरे क़दमों तले आ के हैरान है?

उलझी साँसें, चुप हैं राहें
कोई रास्ता दिखा
ख़ुदा के लिए, ख़ुदा के लिए
ख़ुदा के लिए, ख़ुदा के लिए

आ भी तो ज़रा, आ भी तो ज़रा
ख़ुदा के लिए, ख़ुदा के लिए
ख़ुदा के लिए, ख़ुदा के लिए

आँखों में ले निशाँ फिरता हूँ दर-ब-दर
है क्या कैफ़ियत? हाय, है क्या कैफ़ियत?

यूँ पथरा गए ज़ज्बात पे ग़म के छाले पड़े
क्यूँ मद्धम हुए एहसास के थे जो जालें बड़े?

जलता सहरा, लम्हा ठहरा
करूँ क्या मैं, ऐ, दिल बता?
ख़ुदा के लिए, ख़ुदा के लिए
ख़ुदा के लिए, ख़ुदा के लिए

आ भी तो ज़रा, आ भी तो ज़रा
ख़ुदा के लिए, ख़ुदा के लिए
ख़ुदा के लिए, ख़ुदा के लिए
ख़ुदा के लिए, हाँ (ख़ुदा के लिए)



Credits
Writer(s): Shabbir Ahmed
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link