Aashiq Nazar Ka

आशिक़ नज़र का या हो नज़ारों का
ये शाम है सब के नाम की
खुल कर किसी से या फिर इशारों में
रुत है सलामों कयाम की

आशिक़ नज़र का या हो नज़ारों का
ये शाम है सब के नाम की
खुल कर किसी से या फिर इशारों में
रुत है सलामों कयाम की

खुले गगन चाँद खिला
कोई इसे चाँद कहे, कोई तेरी बिंदिया
बिंदिया में देखो सनम
लिखा है ये किसका नाम

पूछो जिसे होश हो
अपना तो किस्सा तमाम
बिंदिया में देखो सनम

लिखा है ये किसका नाम
अरे, पूछो जिसे होश हो
अपना तो किस्सा तमाम

अब तक जो तुम से कह ना सकी
कहना है वो अब तुम से मुझे
अब तक जो तुम से कह ना सकी
कहना है वो अब तुम से मुझे

चुपके से कहना मुझ को भी है
आजा बगल में ले लूँ तुझे
तेरे बिना जाना कहाँ
शोला तेरी बाहें तो चिंगारी मेरी बिंदिया

देखो ये चिंगारियाँ
हँस-हँस के ले किसका नाम
बिंदिया में देखो सनम
लिखा है ये किसका नाम

मुझ में जो तू है मैं तुझ में हूँ
फिर दो बदन, दो साए हैं क्यों?
मुझ में जो तू है मैं तुझ में हूँ
फिर दो बदन, दो साए हैं क्यों?

धड़कन भी एक और सीना भी एक
फिर तू मुझे तरसाए है क्यों?
बोलो पिया, बोलो साजन
अरे, कह तो दिया तेरे बिना नहीं रहना

तेरे-मेरे प्यार से रंगीन कैसी है शाम
पूछो जिसे होश हो
अपना तो किस्सा तमाम

(आशिक़ नज़र का या हो नज़ारों का)
(ये शाम है सब के नाम की)
(खुल कर किसी से या फिर इशारों में)
(रुत है सलामों कयाम की)

खुले गगन चाँद खिला
कोई इसे चाँद कहे, कोई तेरी बिंदिया
बिंदिया में देखो सनम
लिखा है ये किसका नाम
पूछो जिसे होश हो
अपना तो किस्सा तमाम



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Anand Milind
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