Prem Ki Ganga

ज्योत से ज्योत जगाते चलो
ज्योत से ज्योत जगाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो

राह में आए जो दीन-दुखी
राह में आए जो दीन-दुखी
सबको गले से लगाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो

कौन है ऊँचा? कौन है नीचा?
सब में वो ही समाया
भेद-भाव के झूठे भरम में
ये मानव भरमाया

धर्म ध्वजा...
धर्म ध्वजा फहराते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो

ज्योत से ज्योत जगाते चलो
ज्योत से ज्योत जगाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो

सारे जग के कण-कण में है
दिव्य अमर एक आत्मा
एक ब्रह्म है, एक सत्य है
एक ही है परमात्मा

प्राणों से प्राण...
प्राणों से प्राण मिलाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो

ज्योत से ज्योत जगाते चलो
ज्योत से ज्योत जगाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो



Credits
Writer(s): Laxmikant Pyarelal, Bharat Vyas
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