Manzilen Apni Jagah Hain - Dialogues

और जहाँ तक हँसी का सवाल है, मैं आपको बता दूँ कि
आज तक मैं अपनी ज़िंदगी में कभी हँसा नहीं हूँ
मैं तो दुनियाँ की खोखली हँसी पर क़हक़ही लगाता रहा हूँ
आपने तो दूर से सिर्फ़ उन क़हक़हों की आवाज़ सुनी है
कभी करीब आ कर के उन क़हक़हों में बंद छलकते आँसू नहीं देखे

मंज़िलों पे आ के लुटते हैं दिलों के कारवाँ
कश्तियाँ साहिल पे अक्सर डूबती हैं प्यार की

मंज़िलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह
मंज़िलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह
जब कदम ही साथ ना दे तो मुसाफ़िर क्या करे?

यूँ तो है हमदर्द भी और हमसफ़र भी है मेरा
यूँ तो है हमदर्द भी और हमसफ़र भी है मेरा
बढ़ के कोई हाथ ना दे, दिल भला फिर क्या करे?

मंज़िलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह

डूबने वाले को तिनके का सहारा ही बहुत
दिल बहल जाए फ़क़त इतना इशारा ही बहुत
इतने पर भी आसमाँ वाला गिरा दे बिजलियाँ
कोई बतला दे ज़रा ये डूबता फिर क्या करे?

मंजिलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह

प्यार करना जुर्म है तो जुर्म हम से हो गया
क़ाबिल-ए-माफ़ी हुआ, करते नहीं ऐसे गुनाह
तंगदिल है ये जहाँ और संगदिल मेरा सनम
क्या करे जोश-ए-जुनूँ और हौसला फिर क्या करे?

मंज़िलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह
जब कदम ही साथ ना दे तो मुसाफ़िर क्या करे?

यूँ तो है हमदर्द भी और हमसफ़र भी है मेरा
बढ़ के कोई हाथ ना दे, दिल भला फिर क्या करे?

आप लोगों ने जो मान मुझे दिया है, जो इज़्ज़त मुझे दी है
उसके लिए मैं आप सब का बहुत आभारी हूँ
अपने बारे में मैं आप से क्या कहूँ

एक दिन था इसी जगह से मैंने अपनी ज़िंदगी शुरू की थी
दिल धड़क रहा था, आज एक दिन है
उसी जगह आप सब ने मुझे इतना मान दिया
आज फिर दिल धड़क रहा है

ज़िंदगी का सफ़र तय करने के लिए बस एक सहारा चाहिए
शुक्रिया उस सफ़र के लिए, उस मान के लिए
उस ज़िंदगी के लिए



Credits
Writer(s): Mehra Prakash, Bappi Lahiri
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link