Dekha Ek Khwab (with Dialogues)

देखा एक ख़ाब तो ये सिलसिले हुए
देखा एक ख़ाब तो ये सिलसिले हुए
फूल भी हों दरमियाँ तो फ़ासले हुए
फूल भी हों दरमियाँ तो फ़ासले हुए

धड़कनों में तेरे गीत हैं मिले हुए
क्या कहूँ के शर्म से हैं लब सिले हुए
प्यार के हज़ार दीप हैं जले हुए
प्यार के हज़ार दीप हैं जले हुए
फूल भी हों दरमियाँ तो फ़ासले हुए
फूल भी हों दरमियाँ तो फ़ासले हुए

ये कमबख़्त याद ही तो तबाह कर देती है, doctor साहब
उस गली से गुज़र हुआ नहीं कि पलटना मुश्किल हो जाता है
फिर तो ज़रूर कोई ऐसी याद होगी जिसका वास्ता आपके दिल से होगा

देखा एक ख़ाब तो ये सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए
देखा एक ख़ाब तो ये सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए

ये गिला है आपकी निगाहों से
फूल भी हों दरमियाँ तो फ़ासले हुए

देखा एक ख़ाब तो ये सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए

मेरी साँसों में बसी खुशबू तेरी
ये तेरे प्यार की है जादूगरी
तेरी आवाज़ है हवाओं में
प्यार का रंग है फ़िज़ाओं

धड़कनों में तेरे गीत हैं मिले हुए
क्या कहूँ के शर्म से हैं लब सिले हुए

देखा एक ख़ाब तो ये सिलसिले हुए
फूल भी हों दरमियाँ तो फ़ासले हुए

मेरा दिल है तेरी पनाहों में
आ, छुपा लूँ तुझे मैं बाँहों में
तेरी तस्वीर है निगाहों में
दूर तक रोशनी है राहों में

कल अगर ना रोशनी के क़ाफ़िले हुए
प्यार के हज़ार दीप हैं जले हुए

देखा एक ख़ाब तो ये सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए
ये गिला है आपकी निगाहों से
फूल भी हों दरमियाँ तो फ़ासले हुए

देखा एक ख़ाब तो ये सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Shiv Hari
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link