Raat Kitni (From "Paltan")

रात कितनी दास्तानें
कह रही है
इक नदी यादों की है जो
बह रही है
रात कितनी दास्तानें
कह रही है
इक नदी यादों की है जो
बह रही है

मिलने आये है हमसे
बीते हुये लम्हे कल के
कितने पहचाने चेहरे
तन्हाई में है झलके

यूँ तो कोई है कहाँ
कोई कहाँ
यादें लेके आई है
सबको यहाँ
रात कितनी दास्तानें
कह रही है
इक नदी यादों की है जो
बह रही है

एक माथे पर दमकती एक बिन्दी
एक आँचल जाने क्यूँ लहरा रहा है
घर के दरवाजे पे सुन्दर सी रंगोली
फिर कोई त्योहार मिलने आ रहा है
नन्हें-नन्हें पाओं से चलता है कोई
उँगलियों से जप रहा है कोई माला
एक थाली इक कलाई एक राखी
एक मंदिर एक दीपक इक उजाला
रात कितनी दास्तानें
कह रही है
इक नदी यादों की है जो
बह रही है
दोस्ती का हाथ है कंधे पे रखा
प्यार से दो आँखें छलकी जा रही हैं
धूप की हैं धज्जियाँ बाग़ों में बिखरी
पेड़ों में छुपके हवाएँ गा रहीं हैं
लम्बी सासें लेते हैं सावन के झूले
घाट पर पायी प्यासी गगरिया हैं
नदियाँ किनारे हैं बनसी का लहरा
एक पगडंडी पे खनकी चूड़ियाँ हैं
रात कितनी दास्तानें
कह रही है
इक नदी यादों की है जो
बह रही है
मिलने आए हैं हम से
बीते हुवे लमहें कल के कितने पहचाने चेहरे
तन्हाई में है झलके
यूँ तो कोई है कहाँ कोई कहाँ
यादें लेके आयी है सबको यहाँ
रात कितनी दास्तानें
कह रही है
इक नदी यादों की है जो
बह रही है



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Anu Malik
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