Har Taraf

हर तरफ़, हर जगह, हर कहीं पे है
हाँ, उसी का नूर
हर तरफ़, हर जगह, हर कहीं पे है
हाँ, उसी का नूर
हर तरफ़, हर जगह, हर कहीं पे है
हाँ, उसी का नूर, हाँ, उसी का नूर

रोशनी का कोई दरिया तो है
हाँ, कहीं पे ज़रूर
रोशनी का कोई दरिया तो है
हाँ, कहीं पे ज़रूर
रोशनी का कोई दरिया तो है
हाँ, कहीं पे ज़ुरूर

ये आसमाँ, ये ज़मीं, चाँद और सूरज
क्या बना सका है कभी कोई भी क़ुदरत?
क्या बना सका है कभी कोई भी क़ुदरत?

कोई तो है जिसके आगे है आदमी मजबूर
कोई तो है जिसके आगे है आदमी मजबूर

हर तरफ़, हर जगह, हर कहीं पे है
हाँ, उसी का नूर

इंसान जब कोई है राह से भटका
किसने दिखा दिया उसको सही रस्ता?
किसने दिखा दिया उसको सही रस्ता?

कोई तो है जो करता है मुश्किल हमारी दूर
कोई तो है जो करता है मुश्किल हमारी दूर

हर तरफ़, हर जगह, हर कहीं पे है
हाँ, उसी का नूर
रोशनी का कोई दरिया तो है
हाँ, कहीं पे ज़रूर



Credits
Writer(s): Sayeed Quadri
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