Saadda Haq

तुम लोगो की
इस दुनिया में
हर कदम पे
इंसा गलत
मै सही समझ के जो भी कहु
तुम कहते हो गलत
मै गलत हु फिर कौन सही (फिर कौन सही)
फिर कौन सही
मर्जी से जीने की भी मै
क्या तुम सबको मै अर्जी दू
मतलब की तुम सबका मुझपे
मुझसे भी ज्यादा हक़ है
सद्दा हक़, एथे रख
सद्दा हक़, एथे रख सद्दा हक़, एथे रख
सद्दा हक़, एथे रख सद्दा हक़, एथे रख
सद्दा हक़, एथे रख सद्दा हक़, एथे रख
सद्दा हक़, एथे रख सद्दा हक़, एथे रख
सद्दा हक़, एथे रख सद्दा हक़, एथे रख
सद्दा हक़, एथे रख सद्दा हक़, एथे रख

हे इन गदारो में या उधारो में
तुम मेरे जीने की आदत का क्यों घोट रहे दम
बेसलीका मै उस गली का मै ना जिसमे हया, ना जिसमे शर्म
मन बोले के रस में जीने का हर्जाना दुनिया दुश्मन
सब बेगाना इन्हें आग लगाना
मन बोले मन बोले मन से जीना या मर जाना है
सद्दा हक़, एथे रख सद्दा हक़, एथे रख
सद्दा हक़, एथे रख सद्दा हक़, एथे रख
सद्दा हक़, एथे रख सद्दा हक़, एथे रख
सद्दा हक़, एथे रख सद्दा हक़, एथे रख

ओ eco-friendly, nature के रक्स मै भी हु nature
रिवाजो से समाँझो से क्यों...
तू काटे मुझे क्यों बांटे मुझसे इस तरह
क्यों सच का सबक सिखाए,जब सच सुन भी ना पाया
सच कोई बोले तो तू,नियम कानून बताये
तेरा डर. तेरा प्यार. तेरी वाह. तू ही रख रख साला
सद्दा हक़, एथे रख सद्दा हक़, एथे रख
सद्दा हक़, एथे रख सद्दा हक़, एथे एथे रख
सद्दा हक़, एथे रख सद्दा हक़, एथे रख
सद्दा हक़, एथे रख सद्दा हक़, एथे रख
सद्दा हक़, एथे रख सद्दा हक़, एथे रख
सद्दा हक़ एथे रख (सद्दा हक़, एथे रख)सद्दा हक़ एथे रख (सद्दा हक़, एथे रख)



Credits
Writer(s): Irshad Kamil
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