Khamakha (Mohit Version)

हाँ, ये बता कि हम से क्या जुरम हुआ?
जो यूँ चल दिए मुँह फिराए
बेवजह हम को मिल गई सज़ा
ये पहली बार मात खाए

ख़्वाह-मख़ाह ही तुम से पाला पड़ गया
अब जान ये कैसे छुड़ाए?
ख़्वाह-मख़ाह ही तुम से हम भिड़ गए
लो, फ़ँस गए बैठे-बिठाए

इतना भी क्या है ग़ुरूर तुम को भला
जो ऐसे हमें ठुकरा दिए
ना समझो ये तुम कि हम हैं पीछे पड़े
इतना भी ना किसी को हम मनाए, हाए

ख़्वाह-मख़ाह ही तुम से पाला पड़ गया
अब जान ये कैसे छुड़ाए?
ख़्वाह-मख़ाह जिगर पे गोलियाँ चलीं
पलक झपकते हम ढेर हो गए

ख़्वाह-मख़ाह हम मिल गए
ख़्वाह-मख़ाह तुम से भिड़ गए

ये शुक्र मनाओ, हाँ, दिल को समझाओ
कि हम भी कोई ऐसे-वैसे ही नहीं
चढ़ा लिया जो यूँ ज़रा सर पे तुम को
उड़ने लगे आसमाँ पे तुम तो कहीं

सब्र का ये इम्तिहान ना लो
अरे, हम भी सरफिरे हैं, ये तुम जान ही लो
ज़िद पे जो आ गए एक बार हम
मुड़ के ना फिर देखे तुम को

ख़्वाह-मख़ाह ही तुम से पाला पड़ गया
अब जान ये कैसे छुड़ाए?
ख़्वाह-मख़ाह ही तुम से हम भिड़ गए
लो, फ़ँस गए बैठे-बिठाए

अंदाज़ ये हमारा सब को लगे निराला
एक आप ही है जिनको आए ना नज़र
कि जान ये हथेली पे रख दे हम तो
कहो तो दुनिया की आज ले-ले ख़बर

अरे, अपने भी तो हो कुछ फ़साने
प्यार के ये जोखिम हमें हैं आज़माने
कर लो ज़रा, हाँ, तुम भी इसका नशा
होश में फिर आओगे तुम अपने

ख़्वाह-मख़ाह ही तुम से पाला पड़ गया
अब जान ये कैसे छुड़ाए? हाए
ख़्वाह-मख़ाह ही तुम से हम भिड़ गए
लो, फ़ँस गए बैठे-बिठाए

ख़्वाह-मख़ाह हम मिल गए
ख़्वाह-मख़ाह तुम से भिड़ गए



Credits
Writer(s): Krsna
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