Yeh Saye Hain Yeh Duniya Hai

ये सब शायद शायर के ख़ाम-ख़याली हो
पता नहीं कैसी-कैसी परछाइयों को गिरह लगा के बाँध देना चाहता है
सब जमा करता है और कुछ हाथ नहीं आता
ये सब के सब सरकते हुए साए हैं, जिनमें दर्द भी है, रस भी
अजीब चीज़ है ये शायर, चाहे जितना उड़ेलता रहे ख़ाली नहीं होता

ये साए हैं, ये दुनिया है
परछाइयों की ये साए हैं, ये दुनिया है
भरी भीड़ में ख़ाली...
भरी भीड़ में ख़ाली तन्हाइयों की ये साए हैं, ये दुनिया है

यहाँ कोई साहिल सहारा नहीं है
कहीं डूबने को किनारा नहीं है
यहाँ कोई साहिल सहारा नहीं है
यहाँ सारी रौनक है रुसवाइयों की

ये साए हैं, ये दुनिया है
परछाइयों की ये साए हैं, ये दुनिया है

कई चाँद उठकर जलाएँ-बुझाएँ
बहुत हमने चाहा ज़रा नींद आए
कई चाँद उठकर जलाएँ-बुझाएँ
यहाँ रात होती है बेदारियों की

ये साए हैं, ये दुनिया है
परछाइयों की ये साए हैं, ये दुनिया है

यहाँ सारे चेहरे हैं माँगे हुए से
निगाहों में आँसू भी टाँगे हुए से
यहाँ सारे चेहरे हैं माँगे हुए से
बड़ी नीची राहे हैं ऊँचाइयों की

ये साए हैं, ये दुनिया है
परछाइयों की ये साए हैं, ये दुनिया है
भरी भीड़ में ख़ाली...
भरी भीड़ में ख़ाली तन्हाइयों की ये साए हैं, ये दुनिया है

ये साए हैं, ये दुनिया है



Credits
Writer(s): Gulzar, Rahul Dev Burman
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