Saajna

साजना, साजना

एक तुझ को ही बस देखकर
भूली मुझ को ही मेरी नज़र
तुझ को शायद नहीं है ख़बर
तुझ को जीते हैं हम किस क़दर

जुड़े जो तेरे ख़ाब से तो टूटे हम नींद से
ये कैसा तेरा इश्क़ है, साजना?
तू हाथों में तो है मेरे, है क्यूँ नहीं लकीरों में?
ये कैसा तेरा इश्क़ है, साजना?

तेरे बिना कभी रातें ना हों मेरी
तेरे क़रीब हों मेरे ये दिन सभी
तेरे बिना कभी रातें ना हों मेरी
तेरे क़रीब हों मेरे ये दिन सभी

जुड़े जो तेरे ख़ाब से (ख़ाब से)
तो टूटे हम नींद से (नींद से)
ये कैसा तेरा इश्क़ है (इश्क़ है), साजना?
तू हाथों में तो है मेरे, है क्यूँ नहीं लकीरों में?
ये कैसा तेरा इश्क़ है, साजना?

तू साथ है अगर, तनहा क्यूँ है सफ़र?
इतना बता मुझे, क्यूँ है मुझ से बेख़बर?
तू साथ है अगर, तनहा क्यूँ है सफ़र?
इतना बता मुझे, क्यूँ है मुझ से बेख़बर?

जुड़े जो तेरे ख़ाब से तो टूटे हम नींद से
ये कैसा तेरा इश्क़ है, साजना?
तू हाथों में तो है मेरे, है क्यूँ नहीं लकीरों में?
ये कैसा तेरा इश्क़ है, साजना?



Credits
Writer(s): Kumaar, Falak Shabbir
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