Speechless (Part 2)

लिखा है जो क्यूँ मानूँ मैं सब वो
सदियों से जो ना बदला?
क्यूँ ना ज़ुबाँ मैं खोलूँ? बताओ
मेरा तो हक़ है ये पहला

सच्चाई कहनी है इस पल
१०० क़समें हैं खाई, चाहे अब मैं सदमें पाऊँ

होगी रिहाई, तूफ़ाँ की मैं आहट
मैं तुम को ना दूँ राहत
खोल आई हूँ, तोड़ आई हूँ सब पहरे

पहरे ना सहूँ मैं, ना ही चुप रहूँगी
जो है वो सब कहूँगी
खोल आई हूँ, तोड़ आई हूँ सब पहरे

मुझको रखना ना सहेज, पा लूँ इनसे तो मैं रिहाई
और अब लेके बिखरे पल लिखूँ मैं बस तेरी रुसवाई
है ये आवाज़ दिल से आई

चुप ना रहना, और यूँ तेरे ज़ुल्मों को मैंने ना सहना
खोल आई हूँ, तोड़ आई हूँ सब पहरे, पहरे
नाकामी होगी घोंटो जो तुम दम भी, ना हूँ अब किसी से कम भी
अरमानों को रोके ना पहरे
खोल आई हूँ, तोड़ आई हूँ सब पहरे, पहरे



Credits
Writer(s): Alan Menken, Justin Paul, Benj Pasek
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link