Uljhano Ko de Diya

उलझनों को दे दिया है तुमने जो मेरा पता
तो आ गईं यहाँ पे देखो ले के वो बेचैनियाँ
अब तुम ही बताओ हमको दिल को क्या बतायें हम
ये जो भी है वो ख़्वाब है या है ज़िंदगी

ज़िंदगी है ख़्वाब है इसका क्या जवाब है
क्यूँ उलझ गई हो तुम ये सीधा सा हिसाब है
और अपने दिल को भी बताओ तुम यही के ये
ख़्वाब ही तो ज़िंदगी है ज़िंदगी ही ख़्वाब है

क्या हुआ
थे अभी तो तुम वहाँ
आ गये कैसे मेरे वास्ते

मंज़िलें
ढूँढते हुए यहीं
हो गये ख़त्म सारे रास्ते

जाने कैसे रास्तों पे और ये कैसी मंज़िलों पे
आ गये हैं आज-कल के हम जहाँ पे हो गये
थोड़े-थोड़े पागलों से ये भी सोचते नहीं
के पागलों सा मन मेरा सोचता है क्या

सोचने को सोचना बड़ा हसीं ख़याल है
खुद को कहना पागलों सा ख़ूब ये मिसाल है
अपने को समझ के भी ये कुछ भी न समझने की
तेरी ये ही सादगी तो बस तेरा कमाल है

हाथ में
हाथ लेके यूँ मेरा
बोलो क्या कहना चाहते हो तुम

हूँ
आया था
कुछ अभी ख़याल में
तुमने जो बोला तो हुआ वो गुम

क्या वो मेरे प्यार की जगी-जगी सी आरज़ू थी
या वो था मुझे ही अपने दिल में रखने का इरादा
वादा था कोई के अब तो होंगे हम जुदा नहीं
या कहना चाहते थे हमसे प्यार है तुम्हें

मुझे भी लग रहा है जैसे आरज़ू ही थी कोई
जो मुझसे कह रही थी वादे का इरादा है कोई
दिल में रखने की किसी को और जुदा न होने की
प्यार है ये कहने की या थी बात वो कोई



Credits
Writer(s): Subrat Sinha, Sandesh Shandilya
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