Raun Raun

रुआं-रुआं रोशन हुआ
धुआं-धुआं जो तन हुआ

पंछी चला उस देस को
है जहां रातों में सुबह घुली
पंछी चला परदेस को
के जहां वक्त की गांठ खुली

रुआं-रुआं रोशन हुआ
धुआं-धुआं जो तन हुआ

रुआं-रुआं रोशन हुआ
धुआं-धुआं जो तन हुआ

हां नूर को ऐसे चखा
मीठा कुआं ये मन हुआ
रुआं-रुआं रोशन हुआ
धुआं-धुआं जो तन हुआ

गहरी नदी में डूब के
आख़री सांस का मोती मिला
सदियों से था ठहरा हुआ
हां गुजर ही गया वो काफिला

पर्दा गिरा, मेला उठा
खाली कोई बर्तन हुआ
माटी का ये मैला घड़ा
टुटा तो फिर कंचन हुआ

रुआं-रुआं रोशन हुआ
धुआं-धुआं जो तन हुआ
रुआं-रुआं रोशन हुआ
धुआं-धुआं जो तन हुआ

हां नूर को ऐसे चखा
मीठा कुआं ये मन हुआ



Credits
Writer(s): Vishal Bhardwaj, Varun Grover
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