Rozana

हम्म... हम्म...
ला ला ला...
रोज़ाना

तुम हो खबर ऐसी पढ़ता हूँ जिसको मैं
अखबार के जैसे, रोज़ाना
तेरे नाम से अक्सर पन्ने सजाता हूँ
बिन बात बस यूँही, रोज़ाना

मेरा वक्त तुम्हे बिन देखे ना कटे
पर देखूँ तो नज़रें ये ना हटे

तुम हो खबर ऐसी पढ़ती हूँ जिसको मैं
अखबार के जैसे, रोज़ाना
तेरे नाम से अक्सर पन्ने सजाती हूँ
बिन बात बस यूँही, रोज़ाना

तू मेरी आदत सा बनता जा रहा
लोग कहते "मैं बिगड़ता जा रहा"
हो हाथ तेरे देखती हूँ रात-दिन
तू मेरी पलकों पे चलता जा रहा

मुझे रंग तेरे बस पक्के लगते है
बाकी सब रिश्ते कच्चे लगते है

तुम हो ग़ज़ल ऐसी जिसे दिल से लिखता हूँ
अपने ख़यालों में, रोज़ाना
तुम हो खबर ऐसी पढ़ता हूँ जिसको मैं
अखबार के जैसे, रोज़ाना

हम्म, हो गए जो मेरे वो हालात हो
ओढ़ना चाहूँ जिसे वो रात हो
जैसे coffee की ये लत्त छूटे नहीं
बिन तेरे ये दिन मेरे बीते नहीं

तेरे दर्द भी मुझको मीठे लगते है
और दुनिया के ग़म झूठे लगते है

तुम हो सफर ऐसा जिसपे निकलता हूँ
मैं नींद में अक्सर, रोज़ाना
तुम हो गुनाह ऐसा जिसे जानकर के मैं
बस कर ही देता हूँ, रोज़ाना



Credits
Writer(s): Rashmi Singh, Jeet Gannguli
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