Har Taraf Andhera Hai

हर तरफ़...

हर तरफ़ अँधेरा हैं, रौशनी नहीं मिलती
दूर-दूर ढूँढे से ज़िन्दगी नहीं मिलती
कौन सी जगह है ये? कुछ पता नहीं चलता
इस सड़क पे क्या कोई काफ़िला नहीं चलता?

रास्ता भी और दिल भी साएँ-साएँ, साएँ-साएँ करता है
एक सहमा-सहमा है, इक धड़कते डरता है
हाँ, जला लूँ इक मशाल, कुछ तो रौशनी होगी
रास्ते की वहशत में कुछ ना कुछ कमी होगी



Credits
Writer(s): Ustad Shafaqat Ali Khan, Muzzafar Ali, Rahi Masoom Raza
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