Kuchh Hua

कुछ हुआ और कुछ हुआ भी नहीं
कुछ हुआ और कुछ हुआ भी नहीं
बेख़ुदी बन के दिल पे छाई है
मेरी नस-नस में वो समाई है
मैंने उस को कभी छुआ भी नहीं

कुछ हुआ और कुछ हुआ भी नहीं
कुछ हुआ और कुछ हुआ भी नहीं
बेख़ुदी बन के दिल पे छाई है
मेरी नस-नस में वो समाई है
मैंने उस को कभी छुआ भी नहीं

कुछ हुआ,और कुछ हुआ भी नहीं
कुछ हुआ और कुछ हुआ भी नहीं

तुझे सामने बैठा के देखा करूँ
यही बात रात-दिन मैं सोचा करूँ
बहुत चाहता हूँ तुझ को, ऐ ज़िंदगी
कि तू बन गई है मेरी दीवानगी
तू है मेरी, बस मेरी, ये मुझ को है यकीं

कुछ हुआ और कुछ हुआ भी नहीं
कुछ हुआ और कुछ हुआ भी नहीं

तेरे बिन तो एक पल भी जिया जाए ना
के अब इंतज़ार मुझ से किया जाए ना
तमाशे अजब-अजब से करता है दिल
ये सच है सनम के तुझ पे मरता है दिल
नहीं जीना अब तुझ बिन, ऐ मेरे हमनशीं

कुछ हुआ और कुछ हुआ भी नहीं
कुछ हुआ और कुछ हुआ भी नहीं
बेख़ुदी बन के दिल पे छाई है
मेरी नस-नस में वो समाई है
मैंने उस को कभी छुआ भी नहीं

कुछ हुआ और कुछ हुआ भी नहीं
कुछ हुआ और कुछ हुआ भी नहीं



Credits
Writer(s): Nikhil-vinay, B.k.n.
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