Qasam Kha Li

क़सम खा ली मैंने, क़सम खा ली
क़सम खा ली मैंने, क़सम खा ली

रुख़सत करूँगा सपनों को मैं
मिल के हक़ीक़त से गले
सारा अँधेरा पी जाऊँगा, है जो शमा के तले

मैं तो चला (मैं तो चला)
चाहे मेरा (चाहे मेरा)
साया भी संग ना चले

क़सम खा ली मैंने, क़सम खा ली
क़सम खा ली मैंने, क़सम खा ली

मैं अंबर के टुकड़ों का क्या करूँ? क्या करूँ?
अभी तक है बंजर मेरी ज़मीं
क्यूँ देखूँ तमाशा मैं दूर से? दूर से?
रवैया यही है मेरी कमी

जन्नत कभी (जन्नत कभी)
मिलती नहीं (मिलती नहीं)
औरों से करके गिले

क़सम खा ली मैंने, क़सम खा ली
क़सम खा ली मैंने, क़सम खा ली

मैं तो चला (मैं तो चला)
चाहे मेरा (चाहे मेरा)
साया भी संग ना चले

क़सम खा ली मैंने, क़सम खा ली
क़सम खा ली मैंने, क़सम खा ली



Credits
Writer(s): Amit Trivedi, Amitabh Bhattacharya
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