Shabri Prasang

श्री राम, लखन, जानकी सहित चित्रकुट में भरतद्वाज मुनि, वाल्मीकि मुनि आदे के दर्शन करते हैं
उधर अयोध्या में राम के वियोग में दशरथ ने प्राण त्याग दिए
चित्रकुट में सभी माताओं के साथ भरत और राम का मिलन होता है
तदपश्चात तीनों अरण्य की ओर बढ़ते हुए पञ्चवटी पहुँचते है
जहाँ रावण द्वारा सीता का हरण हो जाता है
दोनों भाई वन में चारों ओर सीता को ढूँढते हुए शबरी की कुटिया में पहुँचते हैं
शबरी की अगाध वातसल्य भक्ति अश्रु के रूप में उमड़ पड़ती है
शबरी थोड़ा और नयन भर देखने के लिए विनती करती है

भगवन, भगवन, मेरे राम

रुको पल भर कौशल्या जी के प्यारे
रुको पल भर कौशल्या जी के प्यारे
नयन भर देखने दो दुलारे
रुको पल भर कौशल्या जी के प्यारे

मेरे नहीं धन-धाम की माया
मेरे नहीं धन-धाम की माया
एक तुम्हारे नाम की माया
एक तुम्हारे नाम की माया

फल ना फूल नहीं, भोग ना मेवा
क्या करूँ पूजा! क्या करूँ सेवा!
आज आए हो निर्धन द्वारे
आज आए हो निर्धन द्वारे

निर्धन द्वारे, निर्धन द्वारे, निर्धन द्वारे

रुको पल भर कौशल्या जी के प्यारे
रुको पल भर कौशल्या जी के प्यारे

करुणानिधि की करुणा न्यारी
करुणानिधि की करुणा न्यारी
भक्ति के वश में अवध बिहारी
भक्ति के वश में अवध बिहारी

जूठे बेर बड़े चाव से खाई
शबरी का देखो मान बढ़ाई
दीन-दुखी के तुम ही सहारे
दीन-दुखी के तुम ही सहारे

तुम ही सहारे, तुम ही सहारे, तुम ही सहारे

रुको पल भर कौशल्या जी के प्यारे
रुको पल भर कौशल्या जी के प्यारे
नयन भर देखने दो दुलारे
रुको पल भर कौशल्या जी के प्यारे



Credits
Writer(s): Lata Shikhar, Yogesh Praveen
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