Teri Arzoo Mein

तेरी आरज़ूओं में कभी एक ताज की थी आरज़ू

तेरी आरज़ूओं में कभी एक ताज की थी आरज़ू

जमुना किनारे ताज हो
मेरी बाहों में हो तू
जमुना किनारे ताज हो
मेरी बाहों में हो तू

तेरी आरज़ूओं में कभी एक ताज की थी आरज़ू

तू ना बोले, मैं ना बोलूँ
फ़िर भी हो वो गुफ्तगू
तू ना बोले, मैं ना बोलूँ
फ़िर भी हो वो गुफ्तगू
जो सिर्फ अंदाज की, अहसास की मोहताज है

नज़र नीचे करके तू पूछे खामोशी से मेरी
सामने तुम हो मेरे, कोई ख्वाब है या ताज है

आँखों में हो हैरानियाँ, लब पे ठहरी-ठहरी बात हो
आँखों में हो हैरानियाँ, लब पे ठहरी-ठहरी बात हो

वो बात जिससे मेरी, ये ज़िंदगी आबाद है
तेरा अक्स ही है जो फैला हुआ है ताज पे

रोशनी तुमसे ही है
ये जो चाँद है, क्या चांद है

तेरी आरज़ूओं में कभी एक ताज की थी आरज़ू

तेरी आरज़ूओं में कभी एक ताज की थी आरज़ू



Credits
Writer(s): Irshad Kamil, Sandesh Shandilya
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