Palkein Kholo

पलकें खोलो
देखो ज़रा
लाए हैं हम
पलकें खोलो
देखो ज़रा
लाए हैं हम
ख़ाबों के तकिए
आंखों के बादल
मौसम के कांधे
पत्तों का आंचल
पलकें खोलो
देखो ज़रा
लाए हैं हम

बातों के झरने
आहट की बोली
लाए हैं हम
बातों के झरने
आहट की बोली
बादल में बहती
कश्ती अकेली
पेड़ों पे बारिश
पत्तों का पानी
तुलसी के पीछे
रातों की रानी
पलकें खोलो
देखो ज़रा
लाए हैं हम
पलकें खोलो
देखो ज़रा
लाए हैं हम

वादी में गुज़रा
छोटा सा रस्ता
लाए हैं हम
वादी में गुज़रा
छोटा सा रस्ता
कोहरे के पीछे
सूरज का चेहरा
कैसे बताएं
क्या ख़ाब देखे
मंदिर पे बैठे
उजले परिंदे
पलकें खोलो
देखो ज़रा
लाए हैं हम
पलकें खोलो
देखो ज़रा
लाए हैं हम



Credits
Writer(s): Dr. Bashir Badr, Vishal Bhardwaj
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