Sune Dharthi Gagan, From ''Sakshi Gopal''

सुने धरती, गगन, पाताल
मेरी बिनती सकेगा नहीं टाल
मेरी साक्षी का आया है सवाल
तुझे चलना पड़ेगा, गोपाल

सुने धरती, गगन, पाताल
मेरी बिनती सकेगा नहीं टाल
मेरी साक्षी का आया है सवाल
तुझे चलना पड़ेगा, गोपाल

सुन रे कन्हैया, सच की नैया आज पड़ी मझधार में
सुन रे कन्हैया, सच की नैया आज पड़ी मझधार में
अपना मंदिर तोड़ के चल इंसानों के दरबार में

हो, वहाँ झूठ ने चली है ऐसी चाल
तुझे चलना पड़ेगा, गोपाल

आँखों देखी बात अगर तू जग को ना बतलाएगा
आँखों देखी बात अगर तू जग को ना बतलाएगा
अगर पड़ा मैं झूठ तो तू भी झूठा कहलाएगा

हो, आज लाज तू ही अपनी सँभाल
तुझे चलना पड़ेगा, गोपाल

ऐसी घड़ी में तू जो अगर ना आया मेरे काम रे
फ़िर तेरी-मेरी टूटेगी, कभी ना लूँगा नाम रे
मेरी लाज का दामन तूने आज लिया ना थाम रे
मेरा तो कुछ ना बिगड़ेगा, तू होगा बदनाम रे

चल देने गवाही, गोपाल
आज मंदिर से लूँगा निकाल
चल देने गवाही, गोपाल
आज मंदिर से लूँगा निकाल

तुझे चलना पड़ेगा, गोपाल
तुझे चलना पड़ेगा, गोपाल
तुझे चलना पड़ेगा, गोपाल



Credits
Writer(s): Bharat Vyas, Chitra Goepta
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