Daulat Ke Andhere Me Tera Kho Gya Imaan, From ''Insaaf''

दौलत के अँधेरे में तेरा खो गया ईमान
तुझको ना रही अपने-पराए की भी पहचान

मग़रूर ना हो, मग़रूर ना हो अपने मुकद्दर पे ओ, नादाँ
अल्लाह की नज़रों में बराबर हैं सब इंसाँ
अल्लाह की नज़रों में बराबर हैं सब इंसाँ

दुनिया का अजब रंग नज़र आने लगा है
एक भाई है जो भाई से टकराने लगा है
एक बेटा है जो माँ को भी ठुकराने लगा है, ओ

अफ़सोस कि इंसान बना जाता है शैतान
अल्लाह की नज़रों में बराबर हैं सब इंसाँ
अल्लाह की नज़रों में बराबर हैं सब इंसाँ

ज़ालिम को हर एक ज़ुल्म से बाज़ आना पड़ेगा
लूटी हुई हर चीज़ को लौटना पड़ेगा
इंसाफ़ की आवाज़ पे झुक जाना पड़ेगा

कुदरत का ये कानून बदलना नहीं आसाँ
अल्लाह की नज़रों में बराबर हैं सब इंसाँ
अल्लाह की नज़रों में बराबर हैं सब इंसाँ

ये साज़, ये महफ़िल, ये तराने ना रहेंगे
ये हुस्न-ओ-मोहब्बत के फ़साने ना रहेंगे
जो आज हैं कल तक वो ज़माने ना रहेंगे, ओ

मिट जाएँगे इक पल में गुनाहों के ये सामाँ
अल्लाह की नज़रों में बराबर हैं सब इंसाँ
अल्लाह की नज़रों में बराबर हैं सब इंसाँ
अल्लाह की नज़रों में...



Credits
Writer(s): Asad Bhopali, Chitra Goepta
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