Kabhi Yun

कभी यूँ हो के मैं बादलों पर नज़्में लिख दूँ
कभी यूँ हो के मैं बादलों पर नज़्में लिख दूँ
कौन जाने कभी सावन में तुम पर जा बरसे
कौन जाने कभी सावन में तुम पर जा बरसे
कभी यूँ हो, कभी यूँ हो, कभी यूँ हो

हवाओं पर नज़्में लिख दूँ
हवाओं पर नज़्में लिख दूँ

कौन जाने कभी मेरा अनकहा पैग़ाम
तुम्हें छूकर (हाँ)
तुम्हें छूकर जता दे, जता दे, कभी यूँ हो

सागर की लहरों पर नज़्में लिख दूँ
सागर की लहरों पर नज़्में लिख दूँ

क्या पता कभी...
क्या पता कभी तुम से लिपट जाएँ
कभी यूँ हो

रेत पर नज़्में उकेर दूँ
क्या पता तुम्हारे पाँव तले आ जाए
और नज़्मों में अपना ज़िक्र पाए

Hmm, अंदर तक सिहर जाऊँ
ठिठक जाऊँ और उस एक पल खयालों में
बस मैं रहूँ, बस मैं रहूँ
और उस एक पल खयालों में, कभी यूँ हो



Credits
Writer(s): Sangeeta Gupta, Anurag Saikia
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