Ye Kuche Ye Nilaam Ghar Dilkashi Ke, From ''Pyaasa''

ये कूचे, hmm, hmm, घर दिलकशी के
ये कूचे, ये नीलाम घर दिलकशी के
ये लुटते हुए कारवाँ ज़िंदगी के
कहाँ हैं? कहाँ हैं? मुहाफ़िज़ ख़ुदी के

जिन्हें नाज़ है हिन्द पर, वो कहाँ हैं?
कहाँ हैं? कहाँ हैं? कहाँ हैं?

ये पुर-पेच गलियाँ, ये बदनाम बाज़ार
ये गुमनाम राही, ये सिक्कों की झंकार
ये इस्मत के सौदे, ये सौदों पे तकरार

जिन्हें नाज़ है हिन्द पर, वो कहाँ हैं?
कहाँ हैं? कहाँ हैं? कहाँ हैं?

ये सदियों से बे-ख़ौफ़ सहमी सी गलियाँ
ये मसली हुई अध खिली ज़र्द कलियाँ
ये बिकती हुई खोखली रंग-रलियाँ

जिन्हें नाज़ है हिन्द पर, वो कहाँ हैं?
कहाँ हैं? कहाँ हैं? कहाँ हैं?

वो उजले दरीचों में पायल की छन-छन
थकी-हारी साँसों पे तबले की धन-धन
वो उजले दरीचों में पायल की छन-छन
थकी-हारी साँसों पे तबले की धन-धन
ये बे-रूह कमरों में खाँसी की ठन-ठन

जिन्हें नाज़ है हिन्द पर, वो कहाँ हैं?
कहाँ हैं? कहाँ हैं? कहाँ हैं?

ये फूलों के गजरे, ये पीकों के छींटे
ये बेबाक नज़रें, ये गुस्ताख़ फ़िक़रे
ये ढलके बदन और ये बीमार चेहरे

जिन्हें नाज़ है हिन्द पर, वो कहाँ हैं?
कहाँ हैं? कहाँ हैं? कहाँ हैं?

यहाँ पीर भी आ चुके हैं, जवाँ भी
तनौ-मंद बेटे भी, hmm, mmh, अब्बा मियाँ भी
ये बीवी भी है, ये बीवी भी है और बहन भी है, माँ भी

जिन्हें नाज़ है हिन्द पर, वो कहाँ हैं?
कहाँ हैं? कहाँ हैं? कहाँ हैं?

मदद चाहती है ये हव्वा की बेटी
यशोधा की हमजिंस, राधा की बेटी
मदद चाहती है, ये हव्वा की बेटी
यशोधा की हम-जिंस, राधा की बेटी
पयंबर की उम्मत, ज़ुलैंख़ाँ की बेटी

जिन्हें नाज़ है हिन्द पर, वो कहाँ हैं?
कहाँ हैं? कहाँ हैं? कहाँ हैं?

ज़रा मुल्क के रहबरों को बुलाओ
ये कूचे, ये गलियाँ, ये मंज़र दिखाओ
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर, उनको लाओ

जिन्हें नाज़ है हिन्द पर, वो कहाँ हैं?
कहाँ हैं? कहाँ हैं? कहाँ हैं?



Credits
Writer(s): Sachin Dev Burman, Sahir Ludhianvi
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