Mask Kho Gaya

रात ख़ाब में दिखा Mask खो गया मेरा
और ग़ुस्से में किसी ने गले लगा लिया

रात ख़ाब में दिखा Mask खो गया मेरा
और ग़ुस्से में किसी ने गले लगा लिया
डर के मारे नींद में भागे ऐसे ढंग से
जागने से पहले ही गिर गए पलंग से

रात नींद में दिखा ख़ाब ऐसा जंतरी
लोग हैं शहर में न चौकीदार संतरी
एक बस बचें हैं हम सारी कायनात में
कोई president और न प्रधानमन्त्री

बरसे बरसे फूल फ़ौजियों पे आसमान से
चलते चलते Migrants मर गए थकान से
भूक से बिलख रहे थे बच्चे बूढे औरतें
कुछ दुखी थे कुछ नहीं मिल रहा दूकान से

आज ज़िंदगी में क्या शह हसीन आ गयी
झाड़ू पोंचा मारने की मशीन आ गयी
हम ख़ुशी में जागते पड़े रहे पलंग पे
नींद तो न आयी पर vaccine आ गयी



Credits
Writer(s): Vishal Bhardwaj
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