Bichde Hue Sajan Ki Kyu Yaad, From ''Pyar Ki Manzil''

बिछड़े हुए साजन की, बिछड़े हुए साजन की
क्यूँ याद भी आती है, रह-रह के सताती है
हाए, बिछड़े हुए साजन की, बिछड़े हुए साजन की

दिन-रात इन आँखों से आँसूं ही बरसते हैं
जीने की नहीं हसरत, मरने को तरसते हैं
दिन-रात इन आँखों से आँसूं ही बरसते हैं
जीने की नहीं हसरत, मरने को तरसते हैं

हाए, बिछड़े हुए साजन की, बिछड़े हुए साजन की
क्यूँ याद भी आती है, रह-रह के सताती है
हाए, बिछड़े हुए साजन की, बिछड़े हुए साजन की

बेदर्द मोहब्बत ने खुशियों को जला डाला
अरमान भरे दिल को विरान बना डाला
बेदर्द मोहब्बत ने खुशियों को जला डाला
अरमान भरे दिल को विरान बना डाला

हाए, बिछड़े हुए साजन की, बिछड़े हुए साजन की
क्यूँ याद भी आती है, रह-रह के सताती है
हाए, बिछड़े हुए साजन की, बिछड़े हुए साजन की



Credits
Writer(s): Husnlal Bhagatram, Rajendra Krishan
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link