Ho Karam

आ...
दोस्तों मैं पेश कर रहा हूँ
भजन संहिता का अध्याय १०२

हो करम मुझपे खुदावंद

हो करम मुझपे खुदावंद
इल्तिजा सुनले मेरी

है मेरी फ़रियाद तुझसे
है मेरी फ़रियाद तुझसे
अब दुआ सुनले मेरी
हो करम मुझपे खुदावंद

जब मुसीबत आए तो मुझसे ना अपना मुँह छुपा

जब मुसीबत आए तो मुझसे ना अपना मुँह छुपा
जब पुकारूँ मैं तुझे...
जब पुकारूँ मैं तुझे, तू सदा सुनले मेरी
हो करम मुझपे खुदावंद

ज़िंदगी के दिन उड़े जाते हैं जैसे कि धुआँ

ज़िंदगी के दिन उड़े जाते हैं जैसे कि धुआँ
जल रहा है तन मेरा...
जल रहा है तन मेरा, तू ज़रा सुनले मेरी
हो करम मुझपे खुदावंद

ढल रही है उम्र मेरी, ढलते साए की तरह

ढल रही है उम्र मेरी, ढलते साए की तरह
घास सा सूखा हूँ अब मैं...
घास सा सूखा हूँ अब मैं, ऐ, ख़ुदा, सुनले मेरी

हो करम मुझपे खुदावंद
इल्तिजा सुनले मेरी

है मेरी फ़रियाद तुझसे
है मेरी फ़रियाद तुझसे
अब दुआ सुनले मेरी
हो करम मुझपे खुदावंद



Credits
Writer(s): Arif Dehlvi, Purna Ch Khuntia
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