Aur Kya Zindagani Hai

हे-हे-हे-हे-हे-हे
आ-हा-हा

कल तलक जो सच था वो बन गया अफ़साना
तिनका-तिनका बिखरा लुटा वो आशियाना
पल में बन गए सरे अपने बेगाने

याद बहुत आते हैं गुजरे ज़माने
बस तबाही है
ग़म के साये हैं

सूनी आँखों में सिर्फ पानी है
और क्या ज़िंदगानी है
हो, और क्या ज़िंदगानी है



Credits
Writer(s): Saifi Nadeem, Rathod Shravan, Pandy Sameer (t)
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