Doobi Doobi

डूबी-डूबी हुई सीप की बाहों में बूँदें
बनती हैं मोती

कारी-कारी माटी के दीप की बाहों में
रंगी है ज्योति
अक्सर नैना भी तो कहानी कई बोले
रात की आहट पे तो चंदा छम-छम डोले

प्रीत के हैं ये भी भेद सारे
समझो तो समझो
बातों-बातों में ये इशारे
समझो तो समझो

डूबी-डूबी हुई सीप की बाहों में बूँदें
बनती हैं मोती

कण-कण मिल के जैसे पर्वत बन जाए
तिनकों से बसेरा
पल-पल से सामना, शब्दों से तराना
यूँ भी आता है वक़्त कभी
कि मिलती है आँसू से भी हँसी

और हम जी जाते हैं एक-एक पल में
मीठी-मीठी कई-कई सदियाँ सी समझो तो

डूबी-डूबी हुई सीप की बाहों में बूँदें
बनती हैं मोती

गुमसुम हवाओं कुछ तो कहो
सागर की मौजों शोर करो
नमकीन हवाओं में शक्कर घोली
आँखों से जब ये आँखें मिली

यूँ ही चले ये सफ़र सातों ही सागर
दो ही हो मुसाफ़िर सातों जनम तक
ए, काश हो जाए कुछ ऐसा भी

डूबी-डूबी हुई सीप की बाहों में बूँदें
बनती हैं मोती

कारी-कारी माटी के दीप की बाहों में
रंगी है ज्योति
अक्सर नैना भी तो कहानी कई बोले
रात की आहट पे तो चंदा छम-छम डोले

प्रीत के हैं ये भी भेद सारे
समझो तो समझो
बातों-बातों में ये इशारे
समझो तो समझो



Credits
Writer(s): Mehboob, A.r. Rahman
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