Bujh Gayee Tapte Hue Din Ki Agan

बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आई पहन उजला वसन
प्राण तुम क्यूँ मौन हो कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल तुम मुस्कराओ

बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आई पहन उजला वसन
प्राण तुम क्यूँ मौन हो कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल तुम मुस्कराओ

एक नीली झील-सा फैला अचल
एक नीली झील-सा फैला अचल
आज ये आकाश है कितना सजल
चाँद जैसे रूप का उभरा कमल
रात भर इस रूप का जादू जगाओ
प्राण तुम क्यूँ मौन हो कुछ गुनगुनाओ

बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आई पहन उजला वसन
प्राण तुम क्यूँ मौन हो कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल तुम मुस्कराओ

चल रहा है चैत का चंचल पवन
चल रहा है चैत का चंचल पवन
बाँध लो बिखरे हुए कुंतल सघन
आज लो कजरा उदासे हैं नयन
माँग भर लो भाल पर बिंदिया सजाओ
प्राण तुम क्यूँ मौन हो कुछ गुनगुनाओ

बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आई पहन उजला वसन
प्राण तुम क्यूँ मौन हो कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल तुम मुस्कराओ
चाँदनी के फूल तुम मुस्कराओ
चाँदनी के फूल तुम मुस्कराओ
चाँदनी के फूल तुम मुस्कराओ



Credits
Writer(s): Jagjit Singh, Vinod Sharma
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