Chandni Ke Dobte Hi

मेर रंग दे बसंती चोला
हो आज रंग दे हो माँ ऐ रंग दे
मेर रंग दे बसंती चोला

आज़ादी को चली ब्याहने दीवानों की टोलियाँ
खून से अपने लिखे देंगे हम इंक़लाब की बोलियाँ
हम वापस लौटेंगे लेकर आज़ादी का डोला
मेर रंग दे ...

ये वो चोला है के जिस पे रंग न चढ़े दूजा
हमने तो बचपन से की थी इस चोले की पूजा
कल तक जो चिंगारी थी वो आज बनी है शोला
मेर रंग दे ...

सपनें में देखा था जिसको आज वही दिन आया है
सूली के उस पार खड़ी है माँ ने हमें बुलाया है



Credits
Writer(s): Qaiser Ul Jaffri, Bhupender Singh
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