Chandni Ke Dobte Hi

तो लीजिए, हाज़िरीन
अब जो ग़ज़ल आप सुनेंगे, उसे Mitalee जी गा रही हैं
और मैं भी थोड़ा सा इनका साथ दूँगा
ये ग़ज़ल; चाँदनी के डूबते ही, घर में क्या रह जाएगा
तुम चलो जाओगे, दरवाज़ा ख़ुला रह जाएगा

चाँदनी के डूबते ही, घर में क्या रह जाएगा
चाँदनी के डूबते ही, घर में क्या रह जाएगा
तुम चलो जाओगे...
जान-ए-जाँ, तुम चलो जाओगे, दरवाज़ा ख़ुला रह जाएगा

चाँदनी के डूबते ही, घर में क्या रह जाएगा
तुम चलो जाओगे...
जान-ए-जाँ, तुम चलो जाओगे, दरवाज़ा ख़ुला रह जाएगा
चाँदनी के डूबते ही

आँख में रह जाएँगी चुभती हुई परछाइयाँ
आँख में रह जाएँगी चुभती हुई परछाइयाँ
हाथ में टूटा हुआ सा आईना रह जाएगा
हाथ में टूटा हुआ सा आईना रह जाएगा

तुम चलो जाओगे...
जान-ए-जाँ, तुम चलो जाओगे, दरवाज़ा ख़ुला रह जाएगा
चाँदनी के डूबते ही

अपने दामन से ना पोंछो इस तरह आँसू मेरे
अपने दामन से ना पोंछो इस तरह आँसू मेरे
ज़िंदगी-भर के लिए धब्बा पड़ा रह जाएगा
ज़िंदगी-भर के लिए धब्बा पड़ा रह जाएगा

तुम चलो जाओगे...
जान-ए-जाँ, तुम चलो जाओगे, दरवाज़ा ख़ुला रह जाएगा
चाँदनी के डूबते ही

शब को जुगनू की चमकेंगे और खो जाएँगे
शब को जुगनू की चमकेंगे और खो जाएँगे
हमको बच्चों की तरह तू ढूँढता रह जाएगा
हमको बच्चों की तरह तू ढूँढता रह जाएगा

हम चले जाएँगे...
मेरी जाँ, हम चले जाएँगे, दरवाज़ा ख़ुला रह जाएगा
चाँदनी के डूबते ही, घर में क्या रह जाएगा

चाँदनी के डूबते ही, घर में क्या रह जाएगा
चाँदनी के डूबते ही



Credits
Writer(s): Bhupender Singh, Qaiser Ul Jaffri
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