Saans Lena Bhi Kaisi Aadat Hai

हो, साँस लेना भी कैसी आदत है
जिए जाना भी क्या रिवायत है
साँस लेना भी कैसी आदत है
जिए जाना भी क्या रिवायत है
हो, जिए जाना भी क्या रिवायत है

कोई आहट नहीं बदन में कहीं
कोई आहट नहीं बदन में कहीं
कोई साया नहीं है आँखों में
कोई साया नहीं है आँखों में

पल गुज़रते हैं, ठहरे-ठहरे से
जिए जाते हैं, जिए जाते हैं
जिए जाते हैं, जिए जाते हैं

ओ, पाँव बे-हिस हैं, चलते जाते हैं
पाँव बे-हिस हैं, चलते जाते हैं
इक सफ़र है, जो बहता रहता है
इक सफ़र है, जो बहता रहता है

कितने बरसों से, कितनी सदियों से
जिए जाते हैं, जिए जाते हैं

साँस लेना भी कैसी आदत है
जिए जाना भी क्या रिवायत है
हो, जिए जाना भी क्या रिवायत है
हो, जिए जाना भी क्या रिवायत है



Credits
Writer(s): Bhupinder Singh
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