Andheri Raaton Mein (From "Shahenshah")

अंधेरी रातों में, सुनसान राहों पर
अंधेरी रातों में, सुनसान राहों पर
हर ज़ुल्म मिटाने को एक मसीहा निकलता है
जिसे लोग शहंशाह कहते हैं

अंधेरी रातों में, सुनसान राहों पर
अंधेरी रातों में, सुनसान राहों पर
हर ज़ुल्म मिटाने को एक मसीहा निकलता है
जिसे लोग शहंशाह कहते हैं
अंधेरी रातों में, सुनसान राहों पर

जैसे निकलता है तीर कमान से
जैसे निकलता है तीर कमान से
देखो ये चला, वो निकला, वो शान से
उस के ही किस्से सब की ज़ुबाँ पे
वो बात है उस की बातों में

अंधेरी रातों में, सुनसान राहों पर
अंधेरी रातों में, सुनसान राहों पर
हर ज़ुल्म मिटाने को एक मसीहा निकलता है
जिसे लोग शहंशाह कहते हैं
अंधेरी रातों में, सुनसान राहों पर

ऐसे बहादुर देखे हैं थोड़े
हो, ऐसे बहादुर देखे हैं थोड़े
ज़ुल्म-ओ-सितम की ज़ंजीरें तोड़े
पीछे पड़े तो पीछा ना छोड़े
बड़ा है ज़ोर उस के हाथों में

अंधेरी रातों में, हाँ, सुनसान राहों पर
अंधेरी रातों में, सुनसान राहों पर
हर ज़ुल्म मिटाने को एक मसीहा निकलता है
जिसे लोग शहंशाह कहते हैं
अंधेरी रातों में, सुनसान राहों पर



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Amar Utpal
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