Kuch Kuch Hota Hai

महबूब, सनम, तुझे मेरी क़सम
महबूब, सनम, तुझे मेरी क़सम
ना हाथ लगा गोरे तन को

कुछ-कुछ होता है, कुछ-कुछ होता है
कुछ-कुछ होता है, कुछ-कुछ होता है

महबूब, सनम, तुझे मेरी क़सम
महबूब, सनम, तुझे मेरी क़सम
मुझे देख ना ऐसी नज़रों से

कुछ-कुछ होता है, कुछ-कुछ होता है
कुछ-कुछ होता है, कुछ-कुछ होता है

देखूँ, मैं तो देखूँ दीवाना बन के
जाए, कहाँ जाए दीवानी तन के?

कैसे मैं बताऊँ? तुझे है क्या पता?
ऐसे में हो जाए ना देखो जी ख़ता

ज़रा सा छूने दे गुलाबी गालों को
सँभालूँ कैसे मैं घनेरे बालों को?

इनकार ना कर, तकरार ना कर
इनकार ना कर, तकरार ना कर
ना चल ऐसे बल खा-खा के

कुछ-कुछ होता है, कुछ-कुछ होता है
कुछ-कुछ होता है, कुछ-कुछ होता है

काहे को सताए अनाड़ी मुझको?
ऐसे कैसे दे दूँ जवानी तुझको?

ख़्वाबों की कहानी अधूरी ना रहे
सीने से लगा ले, ये दूरी ना रहे

तेरी इन बातों से बड़ा डर लागे रे
तुझे जब देखूँ तो मोहब्बत जागे रे

अब दूर ना जा, यूँ पास ना आ
अब दूर ना जा, यूँ पास ना आ
आ के ना लिपट मेरी बाँहों से

कुछ-कुछ होता है, कुछ-कुछ होता है
कुछ-कुछ होता है, कुछ-कुछ होता है

महबूब, सनम (तुझे मेरी क़सम)
महबूब, सनम (तुझे मेरी क़सम)
मुझे देख ना ऐसी नज़रों से

कुछ-कुछ होता है, कुछ-कुछ होता है
कुछ-कुछ होता है, कुछ-कुछ होता है



Credits
Writer(s): Sameer Anjaan, Jatin Pandit, Lalitraj Pandit
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