Shukr Tera (From "Samrat & Co.")

किस तरह से शुक्र तेरा अब अदा करूँ मैं?
किस तरह से शुक्र तेरा अब अदा करूँ मैं?
इस मोहब्बत का हर्ज़ाना किस तरह भरूँ मैं?

ख़ामोश रह कर भी कह गए
दरिया सा दिल तक बह गए
तुम पर हो रहा है पूरा एतबार

तुम ही हो मेरी हिफ़ाज़त सुनो
ये कहा है रूह ने
किस तरह से शुक्र तेरा अब अदा करूँ मैं?

इश्क़ का बस नाम लिया
मैंने समझा नहीं था इसे
तूने सिख़ाया ये है इबादत
रूह की भाषा है ये

तेरी बदौलत पायी वो दौलत
जो मिली ना मुझको कहीं
जज़्बात हद से बढ़ने लगे
देने लगी ये सदा तुझे

हरपल है ज़रूरी अब तेरा दीदार
किस तरह से शुक्र तेरा अब अदा करूँ मैं?
इस मोहब्बत का हर्ज़ाना किस तरह भरूँ मैं?

ऐसा कभी देखा नहीं ना कहीं भी कभी सुना
देनेवाला सब देकर भी कह रहा है शुक्रिया

तूने ही तो समझा मुझे
जो ना कह सका मैं सुना तूने
एहसान ये तेरा ना भूलूँगा सदा

किस तरह से शुक्र तेरा अब अदा करूँ मैं?
इस मोहब्बत का हर्ज़ाना किस तरह भरूँ मैं?



Credits
Writer(s): Mithoon
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