Dil Dhoondta Hai (From "Mausam")

दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात-दिन
दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात-दिन
बैठे रहे तसव्वुर-ए-जानाँ किए हुए
दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात-दिन

जाड़ों की नर्म धूप और आँगन में लेट कर
जाड़ों की नर्म धूप और आँगन में लेट कर
आँखों पे खींच कर तेरे आँचल के साए को
औंधे पड़े रहे कभी करवट लिए हुए
दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात-दिन

या गर्मियों की रात जो पुरवाइयाँ चले
या गर्मियों की रात जो पुरवाइयाँ चले
ठंडी सफ़ेद चादरों पे जागे देर तक
तारों को देखते रहे छत पर पड़े हुए
दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात-दिन

बर्फ़ीली सर्दियों में किसी भी पहाड़ पर
बर्फ़ीली सर्दियों में किसी भी पहाड़ पर
वादी में गूँजती हुई खामोशियाँ सुनें
आँखों में भीगे-भीगे से लम्हे लिए हुए

दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात-दिन
दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात-दिन
बैठे रहे तसव्वुर-ए-जानाँ किए हुए
दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात-दिन



Credits
Writer(s): Madan Mohan, Gulzar
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