Mai Re Main Kase Kahoon

माई री
हाँ
माई री मैं कासे कहूँ पीर अपने जिया की
माई री

ओस नयन की उनके मेरी लगी को बुझाये ना
तन मन भीगो दे आके ऐसी घटा कोई छाये ना
मोहे बहा ले जाये ऐसी लहर कोइ आये ना
ओस नयन की उनके मेरी लगी को बुझाये ना
पड़ी नदिया के किनारे मैं प्यासी

पी की डगर में बैठा मैला हुआ री मोरा आंचरा
मुखडा है फीका फीका नैनों में सोहे नहीं काजरा
कोई जो देखे मैया प्रीत का वासे कहूं माजरा
पी की डगर में बैठा मैला हुआ री मोरा आंचरा
लट में पड़ी कैसी बिरहा की माटी
माई री ...

आँखों में चलते फिरते रोज़ मिले पिया बावरे
बैंया की छैंया आके मिलते नहीं कभी साँवरे
दुःख ये मिलन का लेकर काह कारूँ कहाँ जाउँ रे
आँखों में चलते फिरते रोज़ मिले पिया बावरे
पाकर भी नहीं उनको मैं पाती
माई री ...



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Madan Mohan
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link