O Saathi Re (from "Omkara")

ओ, साथी रे दिन डूबे ना
ओ, साथी रे दिन डूबे ना
आ चल दिन को रोके
धूप के पीछे दौड़े, छाँव छुए ना
ओ साथी रे...

ओ, साथी रे दिन डूबे ना
आ चल दिन को रोके
धूप के पीछे दौड़े, छाँव छुए ना
ओ, साथी रे...
ओ, साथी रे दिन डूबे ना

थका-थका सूरज जब नदी से होकर निकलेगा
हरी-हरी काई पे पाँव पड़ा तो फिसलेगा
तुम रोक के रखना, मैं जाल गिराऊँ
तुम पीठ पे लेना, मैं हात लगाऊँ दिन डूबे ना

तेरी-मेरी अट्टी-बट्टी दात से काटी कट्टी रे जईयो ना
ओ पीहू रे, ओ पीहू रे ना जईयो ना

कभी-कभी यूँ करना, मैं डाटू और तुम डरना
उबल पड़े आँखों से मीठे पानी का झरना

तेरे कोहरे बदन में सिल जाऊँगी रे
जब करवट लेगा छिल जाऊँगी रे

हो, संग ले जाऊँगा
तेरी-मेरी अंगनी-मंगनी, अंग-संग लागी संगनी
संग ले जाऊँ, ओ पीहू रे

ओ, साथी रे दिन डूबे ना
आ चल दिन को रोके
धूप के पीछे दौड़े, छाँव छुए ना
ओ, साथी रे...



Credits
Writer(s): Gulzar, Vishal Bharadwaaj
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