Saawali Si Raat

सांवली सी रात हो
ख़ामोशी का साथ हो

हम्म, सांवली सी रात हो
ख़ामोशी का साथ हो
बिन कहे, बिन सुने
बात हो तेरी मेरी

नींद जब हो लापता
उदासियाँ ज़रा हटा
ख़्वाबों की रज़ाई में
रात हो तेरी मेरी

झिलमिल तारों सी आँखें तेरी
खरे खरे पानी की झीलें भरे
हरदम यु ही तु हस्ती रहे
हर पल है दिल मे ख्वाहिशे

ख़ामोशी की लोरियाँ
सुन तो रात सो गई
बिन कहे बिन सुने
बात हो तेरी मेरी

सांवली सी रात हो
ख़ामोशी का साथ हो
बिन कहे बिन सुने
बात हो तेरी मेरी

बर्फी के टुकड़े सा चंदा देखो आधा है
धीरे धीरे चखना ज़रा
हम्म, हँसने रुलाने का आधा-पौना वादा है
कनखी से तकना ज़रा

ये जो लम्हें हैं, लम्हों की बहती नदी में
हाँ भीग लूँ, हाँ भीग लूँ
ये जो आँखें हैं, आँखों की गुमसुम जुबां को
मैं सीख लूँ, हाँ सीख लूँ

अनकही सी गुफ्तगू
अनसुनी सी जुस्तजू
बिन कहे, बिन सुने
अपनी बात हो गयी

सांवली सी रात हो
ख़ामोशी का साथ हो
बिन कहे बिन सुने
बात हो तेरी मेरी



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