Dekha Ek Khwab - From "Silsila"

देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए
देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए

फूल भी हो दरमियाँ तो फ़ासलें हुए
फूल भी हो दरमियाँ तो फ़ासलें हुए

धड़कनों में तेरे गीत हैं मिले हुए
क्या कहूँ के शर्म से है लब सिले हुए

प्यार के हज़ार दीप हैं जले हुए
प्यार के हज़ार दीप हैं जले हुए

फूल भी हो दरमियाँ तो फ़ासलें हुए
फूल भी हो दरमियाँ तो फ़ासलें हुए



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Hari Chaurasia, Shiv Sharma
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