Ash Tray

बहोत से आधे बुझे हुए दिन पड़े है इसमें
बहोत सी आधी जली हुई रातें गीर पड़ी है

बहोत से आधे बुझे हुए दिन पड़े है इसमें
बहोत सी आधी जली हुई रातें गीर पड़ी है
ये ash tray भरती जा रही है

ये ash tray भरती जा रही है

के सुर्ख टुकड़े है कुछ तलब के
सुलग रहे है, सुलग रहे है

ये ash tray भरती जा रही है

(धुँआ-धुँआ, धुँआ-धुँआ, धुँआ-धुँआ, धुँआ-धुँआ...)
धुंआ लिपटता है धुँआ
धुँआ-धुँआ, धुँआ-धुँआ, धुँआ-धुँआ, धुँआ-धुँआ
धुँआ लिपटता है बाज़ीगर की तरह हवा से
धुँआ लिपटता है बाज़ीगर की तरह हवा से

वो पल पे बल खाके उठ रहा है
उठ रहा है, उठ रहा है
तमाम करतब दिखा रहा है
दिखा रहा है, दिखा रहा है

ये ash tray भरती जा रही है

बहोत से आधे बुझे हुए दिन पड़े है इसमें
बहोत सी आधी जली हुई रातें गीर पड़ी है

अहात डालो, न हाथ डालो
के वक्त से छिले हुए लम्हों की राख गर्म है
वक्त से छिले हुए लम्हों की राख नर्म है
उंगलिया जलेंगी, ये ash tray पूरी भर गई है



Credits
Writer(s): Vishal Bharadwaaj, Gulzar
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